सबसे पहले शाही स्नान महानिर्वाणी अखाड़े ने किया. संगम तट पर
जब ये अखाड़ा पुहंचा तो बस हर ओर नागा साधुओं की भीड़ ही नजर आ रही थी. महानिर्वाणी
अखाड़े के साथ अटल अखाड़ा भी थी. महानिर्वाणी अखाड़े का जूलुस भी देखने लायक था. अखाड़े
के महामंडलेश्वर रथ पर सवार थे. जुलूस के दौरान सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम थे.
शुरू हुआ अखाड़ों का शाही स्नान
महानिर्वाणी अखाड़े के बाद निरंजनी अखाड़े की शाही सवारी निकली.
इस अखाड़े के साथ ही आनन्द अखाड़े के साधु सन्त भी थे. जूना अखाड़े, आवाहन और अग्नि अखाड़े के
साधु-संत भी शाही स्नान के लिए निकल रहे हैं. कुल १३ अखाड़े शाही स्नान करेंगे. शाही
स्नान शाम साढ़े पांच बजे तक चलेगा. इसके लिए सारे जरूरी इंतजाम किये गये हैं. संगम
में डूबकी लगाने से पहले ही तड़के से ही साधु संन्यासियों ने पूजा पाठ और हवन शुरू
कर दिया था.
सुबह से ही श्रद्धालुओं का सैलाब
पवित्र डूबकी के लिए लोग इतने बेताब थे कि सुबह ४ बजे से पहले
ही संगम में उतर पड़े. ठंड को मात देते हुए लोगों ने पवित्र डुबकी लगाई. इस पवित्र
स्नान का आनन्द इतना कि बुजर्ग महिलाएं भी नाचती गातीं नजर आईं. जैसे जैसे दिन चढ़ने
लगा, संगम तट
श्रद्धालुओं से पट गया. लोग मकर संक्रांति के पावन मौके पर संगम में डुबकी लगाने लगे.
लोगों का सैलाब स्नान के लिए लगातार पहुंच रहा है. आज एक करोड़ लोगों के स्नान करने
का अनुमान है. संगम तट पर उत्सव का माहौल है और लोगों में गजब का उत्साह है.
संगम तट पर उत्सव का माहौल
कभी कुंभ में राजे रजवाड़ों की शाही सवारी धूमधाम से पहुंचती
थी. अब राजे रजवाड़े नहीं रहे लेकिन शाही सवारी की शान आज भी बरकरार है. अखाड़े बड़े
ही शान के साथ कुंभ क्षेत्र में प्रवेश करते है. किसी भी कुंभ में शाही सवारी की ये
शान देखने के लिए उमड़ पड़ती है लोगों की भीड़ और फिर इलाहाबाद के महाकुंभ की तो बात
ही निराली है.
उदासीन अखाड़े की शाही सवारी यानि पेशवाई बड़े ही शान के साथ
कुंभ क्षेत्र में प्रवेश हुई. १२ सालों के इंतजार के बाद आई इस घड़ी के स्वागत के लिए
कोई कमी नहीं रखी गई. हाथी, घोड़े, ऊंट से सजी सवारी में सबसे आगे भगवान राम का रथ और उसके पीछे
अखाड़े के आचार्य थे.
वैष्णव अखाड़े की पेशवाई में साधू संतों का पराक्रम दिखा. हथियारों
से लैस और उससे तरह तरह के करतब करते साधू दिखे. इस पराक्रम के खेल में संदेश छिपा
था कि केवल वैराग नहीं बल्कि पराक्रम में भी भारतीय संत किसी से पीछे नहीं हैं.
सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम
मकर संक्रांति पर संगम तट पर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम है. एक
तो जबर्दस्त भीड़ और ऊपर से शाही स्नान के लिए अखाड़ों का जुलूस. अखाड़ों के जुलूस
के साथ भी कड़ी सुरक्षा है. पावन स्नान के लिए देश भर से लोग पहुंचे हैं. अगले १० मार्च
तक कुंभनगरी में ये नजारा आम रहेगा.
महाकुंभ में जुटे संन्यासी पर्यावरण और गंगा की सेहत के लेकर
भी चिंतित नजर आए. इसलिए वो अपनी कुटिया या टेंट बनाने में इको फ्रेंडली सामानों का
इस्तेमाल कर रहे हैं ताकि उनकी वजह से गंगा प्रदूषित ना हो.
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