सिरोही, 16 जनवरी। सामाजिक
न्याय एवं अधिकारिता विभााग एवं जिला प्रशासन के संयुत तत्वावधान में अनुसूचित जाति व जन जाति ( अत्याचार निवारण) नियम-1995 की कार्यशाला आज जिला परिषद के सभाकक्ष में रखी गई। जिले में प्रभावी क्रियान्वयन एवं अनुसूचित जाति, जन जाति पर होने वाले अत्याचार एवं राज्य सरकार द्वारा किए जाने वाले सकारात्मक
प्रयास विषयक पर यह कार्यशाला जिला प्रमुख चन्दनसिंह देवड़ा के मुख्य आथित्य एवं जिला
कलेटर एम.एस. काला की अध्यक्षता
में सम्पन्न हुई।
जिला प्रमुख एवं जिला कलेटर ने अत्याचार निवारण अधिनियम एवं नियम के पेम्पलेट व विभागीय योजनाओं की मार्गदर्शिका
का विमोचन किया। तत्पश्चात् विधिवत रूप से कार्यशाला का शुभारम्भ किया। जिला परिवीक्षा एवं समाज कल्याण अधिकारी एम. एल. मारू ने बताया कि विभाग के निर्देशानुसार
यह कार्यशाला आयोजित की गई हैं जिसमें अनुसूचित जाति, जनजाति (अत्याचार निवारण)
जिला स्तरीय मॉनीटरिंग कमेटी के सदस्यों, प्रधान, उप खण्ड अधिकारी एवं जिला स्तरीय अधिकारी को आमंत्रित किया गया।
डॉ. प्रकाश गुप्ता द्वारा
पॉवर परजेन्टशन द्वारा अत्याचार उत्पीडऩ से सम्बंधित अधिनियम, 1989 के नियम
1995 के सम्बंध में विस्तृत जानकारी दी गई। जिला कलेटर द्वारा सुझाव एवं निर्देश दिये गये कि योजनाओं के पेम्पलेट एवं अधिनियम का प्रचार-प्रसार
आम ग्रामीण जन तक हो इसके लिए पंचायत समिति स्तर पर भी सम्बंधित प्रधान, उप खण्ड अधिकारी से सम्पर्क कर आम जन को भी सेमीनार आयोजित कर सेमीनार के माध्यम
से अधिनियम की जानकारी दी जावे ताकि पीडि़त व्यित को अधिनियम के अन्तर्गत राहत मिल सके, साथ ही सहायक निदेशक को निर्देश दिये कि राज्य स्तर पर पुलिस मुख्यालय जयपुर में
जो हेल्प लाईन टॉल फ्री नं. कार्यरत है उसका विस्तार सहित ड्राफ्ट बनाकर विभिन्न माध्यमों
से प्रचार-प्रसार किया जावे एवं इन प्रकरणों के सम्बंध में न्यायालय से सूचना प्राप्त
कर नियम 11 के अन्तर्गत राहत सम्बंधित पी.पी. व ए.डी.पी. के माध्यम से प्रदान
की जावे। जिला प्रमुख ने यह सुझाव दिया गया कि इन मुकदमों में जो मुकदमें झुठे पाये
जाते है, उनके विरूद्घ भी पुलिस द्वारा नियमानुसार कार्यवाही की जानी
चाहिए एवं उनकी सूचि समाचार पत्रों में प्रकाशित की जानी चाहिए, ताकि असामाजिक तत्व अधिनियम का दुरूपयोग नहीं कर सके। जिस पर श्री मारू ने बताया
कि पुलिस विभाग से झुठे मुकदमों पर लगी एफ.आर. की संख्या आती है। उचित होगा कि यह कार्यवाही
पुलिस विभाग द्वारा की जाये। वर्ष 2012 में इस अधिनियम के तहत कुल 103 प्रकरण
विभिन्न पुलिस थानों मे दर्ज हुए, जिनमें से 42 प्रकरणों
में एफ.आर., 53 प्रकरणों में चालान एवं 8 प्रकरण पुलिस पेण्डिग है।
चालान किये प्रकरणों में 45 पीडि़त व्यितयों को 1042500/- की आर्थिक सहायता का भुगतान अधिनियम
के नियम 12(4) के अन्तगर्त किया गया है। 10 प्रकरणों में आर्थिक सहायता
के प्रस्ताव पुलिस विभाग द्वारा जिला कलेटर को प्रेषित किया गया जिन
पर 16 पीडि़तों को 9.37 लाख की स्वीकृति जारी की
जा रही हैं।
प्ंाचायत समिति सिरोही के
प्रधान नीतिराजसिंह,
रेवदर
की प्रधान श्रीमती पदमा कंवर, जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी एस.एस. पंवार, अति पुलिस अधीक्षक भंवरसिंह मीणा, पूर्व जिला प्रमुख केसर मल गमेती, सदस्य भूराराम कोली, हरिश परिहार, सारद संस्थान रेवदर के बृजमोहन शर्मा, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. संजीव टॉक, कृषि विभाग के उप निदेशक जगदीश मेघवाल, लैबर ऑफिसर राधेश्याम वैष्णव, रोजगार अधिकारी आनन्द सुथार, अनुजा निगम के नरबहादुरसिंह, अम्बेडक सेवा समिति के
बाबुलाल राणा,
कृषि
अधिकारी फुलाराम मेघवाल,
सहायक
लोक अभियोजक सुरेश चन्द्र चंदन, जिला बीसूका उपाध्यक्ष राजेन्द्र
सांखला, कोषाधिकारी मनोज साडिल्य सहित जिला स्तरीय अधिकारी एवं जनप्रतिनिध
उपस्थित थे।
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